अस्तित्व का स्वरूप

अस्तित्व का स्वरूप

लेखक: ज्योतिराव लढके |

हमारे चारों ओर कुछ अस्तित्व में है| हम स्वयं भी इस अस्तित्व का एक हिस्सा है| हमारे दिमाग का स्वरूप कुछ ऐसा है कि इस अस्तित्व के बारे में जानने की, हममें उत्सुकता जागती है| लेकिन हम यह भी जानते हैं कि कुछ बातें ऐसी हैं जिनका उत्तर हमें कभी नहीं मिलेगा| जैसे इस अस्तित्व में जो विद्यमान है, वह सारी चीजें कहां से आईं ? कैसे आईं ? किस तरह आईं ? आदि| भले ही कुछ लोग ऐसे प्रश्नों के पीछे सारा जीवन खपा देते हैं| लेकिन विज्ञान ऐसे प्रश्नों में नहीं उलझता| वह तो बस उसका स्वरूप जानने में रुचि रखता है| प्रकृति के नये-नये रहस्य उसके सामने खुल रहे हैं| बात केवल उत्सुकता की नहीं है| मनुष्य इस ज्ञान का उपयोग मानवता की भलाई के लिए करना चाहता है|

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