मनुष्य ने तथाकथित अलौकिक शक्तियों से संबंधित संकल्पनाओं का अच्छा-खासा संग्रह एकत्रित कर रखा है| और यह दावा किया जाता है कि ये सारी बातें स्वयं ईश्वर से प्राप्त हुई हैं| लेकिन अगर ऐसा होता तो इन संकल्पनाओं में हमें क्रमिक विकास क्यों मिलता ?
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