गॉर्बॉचेव्ह को श्रद्धांजलि और समाजवाद का पुनःस्मरण
आज एक सितम्बर २०२२ को एक ऐसे व्यक्ति का अवसान हुआ है, जिन्हें श्रद्धांजलि देते हुए दुनिया के सभी नेताओं ने उन्हें एक महान शांतिदूत कहा है| रक्त का एक बुंद न गिराते हुए, शीतयुद्ध को समाप्त किया, भयमुक्त रूस, यूरोप, दुनिया के निर्माण में महान योगदान दिया| कम्युनिज्म को मानवीय चेहरा प्रदान करने में अपनी सारी शक्ति लगा दी|
लेकिन उनपर यह दोष भी मढ़ा जाता है कि, सोवियत युनियन के विघटन को वे नहीं रोक सके| १९९१ में जो घटनाएँ हुई, उसी कारण विरोधियों को यह कहने का मौका मिला कि ‘ समाजवाद ‘ अब बीते इतिहास की बात हो गयी है|
उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए फिर एक बार उस विचार पर दृष्टि डाले जिसने उन्नीसवीं और बिसवीं सदी को अत्यंत प्रभावित किया था|
( मेरी यह सामग्री रूसी क्रांति के शताब्दी वर्ष २०१७ में, फेसबुक पर क्रमशः आ चुकी है|)
--ज्योतिराव लढके
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